Wednesday, August 1, 2012

पूर्ण पौरुष प्राप्ति दीक्षा

३ अगस्त से ३१ अगस्त, २०१२
पुरुषोत्तम मास
पूर्ण पौरुष प्राप्ति दीक्षा

 मनुष्य की दूषित मनोवृतियां ही पुरुषत्व के ह्रास का कारण बनती हैं, जिसे वे संकोचवश कह भी नहीं पाते, किन्तु पुरुषत्व प्राप्त करने के लिए प्रयासरत भी रहते हैं | ‘पुरुष’ और ‘पौरुष’ दोनों शब्द एक-दूसरे के पर्याय हैं | जब तक मनुष्य में पुरुषत्व नहीं होगा, प्रेम, सौन्दर्य, माधुर्य आदि गुण नहीं होंगे, तब तक वह पूर्ण पुरुष बन ही नहीं सकता |
मनुष्य बाह्य रूप से तो सौन्दर्य की विषय-वस्तु होता ही है, किन्तु जब वैसा सौन्दर्य, मस्ती, उमंग, जोश, दमखम, आंतरिक रूप से न हो, तो व्यक्ति को सोचने के लिए मजबूर होना ही पड़ता है | उसके मस्तिष्क के सैकड़ों सवाल उसे यह विचारने के लिए मजबूर कर देते हैं, कि क्यों ऐसा हो रहा है, आखिर क्या वजह है कि हमारी आँखों में वह चमक, चेहरे पर वह तेज, आकर्षण नहीं है, जो पौरुषता की पहिचान होती है | फलस्वरूप वह मानसिक रूप से दुर्बल होता जाता है, असमय चिङचिङाहट, अकारण क्रोध जैसे भावों के उद्वेलित होने के कारण वह खुल कर अपनी बात को किसी से कह भी नहीं पाता, उसकी इस वेदना, इस निराशा के फलस्वरूप समय पूर्व ही चेहरे पर झुर्रियाँ, बालों में सफेदी आना, चेहरे पर कोई नूर या ताजगी न होना, न ही किसी कार्य करने की इच्छा या चेतना का भाव होना यह सब स्थितियां धीरे-धीरे जीवन को दीमक की तरह खोखला कर देती हैं और जीवन बिना किसी लक्ष्य या उद्देश्य के पशुवत रूप में ही व्यतीत करता रहता है | ये सब स्थितियां एक दिन उसे जीवन-लीला को समाप्त करने के लिए प्रेरित करने लगती हैं |
 ऐसे में निराश होने की जरूरत नहीं है, जब आप हर उपाय करके थक जाये, और असफलता ही मिले, तो साधनात्मक चिन्तन से चिंताएं समाप्त होती हैं और इस दीक्षा को प्राप्त कर पूर्ण पौरुषत्व प्राप्त किया जा सकता है, तथा असमय पड़ गये बुढे मन में रस की, आनन्द की, प्रेम की भावना को जागृत किया जा सकता है | शारीरिक और आत्मीक बल के साथ-साथ जीवन के सभी भोग-विलास, गृहस्थ सुख और आनन्द को जीवन भर के लिए आत्मसात किया जा सकता है | पूर्ण पौरुष प्राप्ति दीक्षा के माध्यम से जीवन अनेक अनेक रसों से सरोबार हो जाता है |
स्त्री हो चाहे पुरुष, दोनों के लिए यह एक आवश्यक तत्व है, अतः दोनों ही इस दीक्षा के माध्यम से पूर्ण सौन्दर्य को प्राप्त कर पौरुषवान बन सकते हैं |
 पांच व्यक्तियों को सदस्य बनाकर यह दीक्षा प्राप्त की जा सकती है |

 अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें-

(१) गुरुधाम, 1-C ,पंचवटी कालोनी, रातानाडा, जोधपुर, पिन-342001, राजस्थान |
    फ़ोन - 0291-2517025
(२) कैलश सिद्धाश्रम , 46 ,कपिल विहार ,कोहट मेट्रो स्टेशन के पास , पीतमपुरा
   दिल्ली,पिन - 110034 |
   फ़ोन 011-27351006


Related Posts:

  • Tanaav Mukti Sadhana – No More Tension Tension, worry, anxiety, high stung nerves, migraine and exploding blood pressure have become bywords for what we call the modern, jet age. In fact so vicious is the grip of our worries that one is not able to save even a… Read More
  • Free Sadhana in Kailash Siddhashram - Delhi and Jodhpur साधना निशुल्क (Free Sadhana) Delhi: 13, 14, 15, 16 and 18 August, 2014                      Jodhpur: 27, 28, 29 August, 2014 दिल्ली: १३, १४, १५, १६ एवं १८ अगस्… Read More
  • Free Sadhana in Kailash Siddhashram - Delhi and Jodhpur साधना निशुल्क (Free Sadhana) Delhi: 7, 8, 9, 10 November, 2014                      Jodhpur: 21, 22, 23 November, 2014 दिल्ली: ७, ८, ९, १० नवम्बर, २०१४   … Read More
  • 21st April 2015 - Akshaya Tritiya Divas 21 April 2015 – Akshaya Tritiya Divas – When the whole day is auspicious for getting success in any sadhana Akshay Tritiya is symbolized by God Vishnu, the preserver God in the Hindu Trinity. It was the day when Vyasa st… Read More
  • 30 August 2014 – Rishi Panchami Day Get the Virtues of Rishis The speciality of any culture is the philosophy behind it. Those who explain this philosophy are referred to as learned men and they guide the persons who follow their preaching. The Indian cu… Read More

0 comments:

Post a Comment