Akshaya Trithiya is one of the most auspicious days for Hindus. In 2012, Akshaya Trithiya date is April 24. It is celebrated on the third day of the bright half of Vaishaka Maas. Akshaya Trithiya 2012 is even more auspicious as it falls on Rohini Nakshatra (Rohini Star) day.
As per the Hindu traditions and culture, this festival is considered as the most significant day to perform sacred deeds (punya karya).
In sanskrit, the meaning of Akshaya is nevere diminishing. As the meaning says, on the day of Akshaya Trithiya people never feel the dearth of happiness or bliss.
As per the Hindu traditions and culture, this festival is considered as the most significant day to perform sacred deeds (punya karya).
In sanskrit, the meaning of Akshaya is nevere diminishing. As the meaning says, on the day of Akshaya Trithiya people never feel the dearth of happiness or bliss.
Hence, on the auspicious occassion of the Parshuram Jayanti on 23 April and Akshaya Trithiya on 24 April, with the blessings of Sadgurudev, Revered Gurudev Shri Kailash Chandra Shrimaliji will provide Baglamukhi Diksha and Akshaya Lakshmi Diksha on 23, 24 and 25 April, 2012 at Kailash Siddhashram, 46, Kapil Vihar, Pitampura, New Delhi. Revered Gurudev will also meet all the sadhaks in person.
२३, २४, २५ अप्रैल, २०१२ – प्रत्येक साधना निशुल्क
कैलाश सिद्धाश्रम
सदगुरुदेव सच्चिदानन्द महाराज, प्रभु निखिलेश्वरानन्दजी के आशीर्वाद से गुरुदेव कैलाश श्रीमाली जी देल्ही आश्रम कैलाश सिद्धाश्रम में प्रत्येक साधक शिष्य को निम्नाकिंत साधना प्रयोग निशुल्क सम्पन्न करायेंगे |
समस्त साधकों एवं शिष्यों के लिए यह योजना कार्तिक मास से प्रारम्भ कि गई है, इसके अंतर्गत विशेष दिवसों पर दिल्ली एवं जोधपुर में पूज्य गुरुदेव के निर्देशन में यह साधनाएं पूर्ण विधि-विधान से सम्पन्न होती हैं | यदि श्रधा व विश्वास हो, तो उसी दिन से साधनाओं में सिद्धि का अनुभव भी होने लगता है |
बगलामुखी दीक्षा यदि जीवन है तो जीवन भी हजार-हजार बाधाओं से भरा हुआ हो, न चाहते हुए भी हमारे शत्रु हैं, बाधाएं हैं, अङचनें हैं, कठिनाईयां हैं, समस्यांए हैं | हम भूख से लड़ रहे हैं, हम गरीबी से लड़ रहे हैं, और चाहें या न चाहें तो भी हमारे शत्रु मारने के लिए तत्पर हैं, उनसे हम भारतीय हैं, फिर आखिर कौन सा रास्ता है जिसके माध्यम से हम निर्भीक रह सकेंगे ?
शत्रु मानसिक भी हो सकते हैं, जो मन में चिंता, तनाव, परेशानी, बाधा व अडचनें पैदा करते हैं | शत्रु ऐसे भी हो सकते हैं – रोग, दुःख, पीड़ा, दारिद्रय देते हों और शत्रु भय भी हो सकते हैं, ऐसी प्रत्येक स्थिति में एक मात्र – केवल एक मात्र उपाय बगलामुखी दीक्षा साधना है |
अक्षय लक्ष्मी दीक्षा हमारे सभी ऋषियों ने यह कहा है कि हम अद्वितीय सम्पन्न बनें, इतने सम्पन्न बनें कि लक्ष्मी स्वंय हमारे सामने वरमाला लिए खड़ी हो | हम गर्दन आगे बढायें और वह जय माला हमारे गले में डाले फिर हम उनको आज्ञा दें और वह हमारा कार्य करें | इसलिए विश्वामित्र भी कह रहें हैं, कि दरिद्रता मिटे, सम्पन्नता आए, पर उसके साथ यश और सम्मान भी होना चाहिये, क्योंकि इनके बिना जीवन ‘ जीवन ‘ नहीं है | याज्ञवल्क्य कह रहे हैं, कि धन, सम्मान ही नहीं आपका स्वास्थ्य भी उत्तम हो | आपके चेहरे पर एक प्रभाव हो, एक तेज हो, जहाँ भी आप जाएं, वहां हंस-गा सकें, खा-पी सकें और सभी सुखों को प्राप्त कर सकें | अक्षय त्रितीया २४ अप्रैल, २०१२ को पूरे दिन और रात श्रेष्ठता से रहेगी | इस दिन आपका कैलाश सिद्धाश्रम दिल्ली में परिवार सहित दीक्षा प्राप्त करने पर आने वाला वर्ष संगोपाग रूप में अक्षय युक्त रहेगा |
२३, २४, २५ अप्रैल, २०१२ – प्रत्येक साधना निशुल्क
कैलाश सिद्धाश्रम
सदगुरुदेव सच्चिदानन्द महाराज, प्रभु निखिलेश्वरानन्दजी के आशीर्वाद से गुरुदेव कैलाश श्रीमाली जी देल्ही आश्रम कैलाश सिद्धाश्रम में प्रत्येक साधक शिष्य को निम्नाकिंत साधना प्रयोग निशुल्क सम्पन्न करायेंगे |
समस्त साधकों एवं शिष्यों के लिए यह योजना कार्तिक मास से प्रारम्भ कि गई है, इसके अंतर्गत विशेष दिवसों पर दिल्ली एवं जोधपुर में पूज्य गुरुदेव के निर्देशन में यह साधनाएं पूर्ण विधि-विधान से सम्पन्न होती हैं | यदि श्रधा व विश्वास हो, तो उसी दिन से साधनाओं में सिद्धि का अनुभव भी होने लगता है |
बगलामुखी दीक्षा यदि जीवन है तो जीवन भी हजार-हजार बाधाओं से भरा हुआ हो, न चाहते हुए भी हमारे शत्रु हैं, बाधाएं हैं, अङचनें हैं, कठिनाईयां हैं, समस्यांए हैं | हम भूख से लड़ रहे हैं, हम गरीबी से लड़ रहे हैं, और चाहें या न चाहें तो भी हमारे शत्रु मारने के लिए तत्पर हैं, उनसे हम भारतीय हैं, फिर आखिर कौन सा रास्ता है जिसके माध्यम से हम निर्भीक रह सकेंगे ?
शत्रु मानसिक भी हो सकते हैं, जो मन में चिंता, तनाव, परेशानी, बाधा व अडचनें पैदा करते हैं | शत्रु ऐसे भी हो सकते हैं – रोग, दुःख, पीड़ा, दारिद्रय देते हों और शत्रु भय भी हो सकते हैं, ऐसी प्रत्येक स्थिति में एक मात्र – केवल एक मात्र उपाय बगलामुखी दीक्षा साधना है |
अक्षय लक्ष्मी दीक्षा हमारे सभी ऋषियों ने यह कहा है कि हम अद्वितीय सम्पन्न बनें, इतने सम्पन्न बनें कि लक्ष्मी स्वंय हमारे सामने वरमाला लिए खड़ी हो | हम गर्दन आगे बढायें और वह जय माला हमारे गले में डाले फिर हम उनको आज्ञा दें और वह हमारा कार्य करें | इसलिए विश्वामित्र भी कह रहें हैं, कि दरिद्रता मिटे, सम्पन्नता आए, पर उसके साथ यश और सम्मान भी होना चाहिये, क्योंकि इनके बिना जीवन ‘ जीवन ‘ नहीं है | याज्ञवल्क्य कह रहे हैं, कि धन, सम्मान ही नहीं आपका स्वास्थ्य भी उत्तम हो | आपके चेहरे पर एक प्रभाव हो, एक तेज हो, जहाँ भी आप जाएं, वहां हंस-गा सकें, खा-पी सकें और सभी सुखों को प्राप्त कर सकें | अक्षय त्रितीया २४ अप्रैल, २०१२ को पूरे दिन और रात श्रेष्ठता से रहेगी | इस दिन आपका कैलाश सिद्धाश्रम दिल्ली में परिवार सहित दीक्षा प्राप्त करने पर आने वाला वर्ष संगोपाग रूप में अक्षय युक्त रहेगा |
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